Facts Interesting - Fact About amazon

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Facts Interesting About  Amazon  When Did You Know That About amazon Logo ? अमेज़ॅन लोगो में इसके डिजाइन में एक मुस्कान और एक तीर दोनों हैं। मुस्कान एक खुश ग्राहक का प्रतीक है। A से Z तक का तीर दर्शाता है कि Amazon के पास वह सब कुछ है जो आप कभी भी चाहते हैं या A से Z तक की आवश्यकता हो सकती है। The  Amazon logo  has both a smile and an arrow in its design. The smile symbolizes a happy customer. The arrow from A to Z symbolizes that  Amazon  has everything you might ever want or need from A to Z. History About Amazon :        Amazon was founded by Jeff Bezos in Bellevue, Washington, on July 5, 1994 . The company started as an online marketplace for books but expanded to sell electronics, software, video games, apparel, furniture, food, toys, and jewelry. In 2015, Amazon surpassed Walmart as the most valuable retailer in the United States by market capitalization.In 2017, Amazon acquired Whole Foods Market for US$13.4 billion, substantially increasing Amazon&#

Facts About India

Facts About Takshila Vishwavidyalaya



Do You Know ? About historical importance about Takshila 


तक्षशिला (पालि : तक्कसिला) प्राचीन भारत में गांधार देश की राजधानी और शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था। यहाँ का विश्वविद्यालय विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में शामिल है। यह हिन्दू एवं बौद्ध दोनों के लिये महत्व का केन्द्र था। चाणक्य यहाँ पर आचार्य थे। ४०५ ई में फाह्यान यहाँ आया था।
ऐतिहासिक रूप से यह तीन महान मार्गों के संगम पर स्थित था-
(१) उत्तरापथ - वर्तमान ग्रैण्ड ट्रंक रोड, जो गंधार को मगध से जोड़ता था,
(२) उत्तरपश्चिमी मार्ग - जो कापिश और पुष्कलावती आदि से होकर जाता था,
(३) सिन्धु नदी मार्ग - श्रीनगर, मानसेरा, हरिपुर घाटी से होते हुए उत्तर में रेशम मार्ग और दक्षिण में हिन्द महासागर तक जाता था।
वर्तमान समय में तक्षशिला, पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के रावलपिण्डी जिले की एक तहसील तथा महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है जो इस्लामाबाद और रावलपिंडी से लगभग ३२ किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है। ग्रैंड ट्रंक रोड इसके बहुत पास से होकर जाता है। यह स्थल १९८० से यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में सम्मिलित है। वर्ष २०१० की एक रिपोर्ट में विश्व विरासत फण्ड ने इसे उन १२ स्थलों में शामिल किया है जो अपूरणीय क्षति होने के कगार पर हैं। इस रिपोर्ट में इसका प्रमुख कारण अपर्याप्त प्रबन्धन, विकास का दबाव, लूट, युद्ध और संघर्ष आदि बताये गये हैं।

प्राचीन समृद्ध भारत | Ancient Indian Wisdom ...


भारतीय इतिहास में तक्षशिला नगरी विद्या और शिक्षा के महान केंद्र के रूप में प्रसिद्ध थी। ऐसा लगता है कि वैदिक काल की कुछ अंतिम शताब्दियों के पूर्व उसकी ख्याति बहुत नहीं हो पाई थी। किंतु बौद्धयुग में तो वह विद्या का सर्वमुख्य क्षेत्र थी। यद्यपि बौद्ध साहित्य के प्राचीन सूत्रों में उसकी चर्चा नहीं मिलती तथापि जातकों में उसके वर्णन भरे पड़े हैं। त्रिपिटक की टीकाओं और अठ्ठकथाओं से भी उसकी अनेक बातें ज्ञात होती हैं। तदनुसार बनारसराजगृहमिथिला और उज्जयिनी जैसे भारतवर्ष के दूर-दूर क्षेत्रों से विद्यार्थी वहाँ पढ़ने के लिये जाते और विश्वप्रसिद्ध गुरुओं से शिक्षा प्राप्त करते थे। तिलमुष्टि जातक (फॉसवॉल और कॉवेल के संस्करणों की संख्या 252) से जाना जाता है कि वहाँ का अनुशासन अत्यंत कठोर था और राजाओं के लड़के भी यदि बार-बार दोष करते तो पीटे जा सकते थे। वाराणसी के अनेक राजाओं (ब्रह्मदत्तों) के अपने पुत्रों, अन्य राजकुमारों और उत्तराधिकारियों को वहाँ शिक्षा प्राप्त करने के लिये भेजने की बात जातकों से ज्ञात होती है (फॉसबॉल की संख्या 252)।

Chanakya: The man behind the force of power - Heritage India Magazine

स्पष्ट है कि तक्षशिला राजनीति और शस्त्रविद्या की शिक्षा का अन्यतम केंद्र थी। वहाँ के एक शस्त्रविद्यालय में विभिन्न राज्यों के 103 राजकुमार पढ़ते थे। आयुर्वेद और विधिशास्त्र के वहाँ विशेष विद्यालय थे। तक्षशिला के स्नातकों में भारतीय इतिहास के कुछ अत्यंत प्रसिद्ध पुरुषों के नाम मिलते हैं। संस्कृत साहित्य के सर्वश्रेष्ठ वैयाकरण पाणिनि गांधार स्थित शालातुर के निवासी थे और असंभव नहीं, उन्होने तक्षशिला में ही शिक्षा पाई हो। गौतम बुद्ध के समकालीन कुछ प्रसिद्ध व्यक्ति भी वहीं के विद्यार्थी रह चुके थे जिनमें मुख्य थे तीन सहपाठी कोसलराज प्रसेनजित्, मल्ल सरदार बंधुल एवं लिच्छवि महालि; प्रमुख वैद्य और शल्यक जीवक तथा ब्राह्मण लुटेरा अंगुलिमाल। वहाँ से प्राप्त आयुर्वेद संबंधी जीवक के अपार ज्ञान और कौशल का विवरण विनयपिटक से मिलता है। चाणक्य वहीं के स्नातक और अध्यापक थे और उनके शिष्यों में सर्वाधिक प्रसिद्ध हुआ चंद्रगुप्त मौर्य, जिसने अपने गुरु के साथ मिलकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। तक्षशिला में प्राय- उच्चस्तरीय विद्याएँ ही पढ़ाई जाती थीं और दूर-दूर से आने वाले बालक निश्चय ही किशोरावस्था के होते थे जो प्रारंभिक शिक्षा पहले ही प्राप्त कर चुके होते थे। वहाँ के पाठयक्रम में आयुर्वेद, धनुर्वेद, हस्तिविद्या, त्रयी, व्याकरण, दर्शनशास्त्र, गणित, ज्योतिष, गणना, संख्यानक, वाणिज्य, सर्पविद्या, तंत्रशास्त्र, संगीत, नृत्य और चित्रकला आदि का मुख्य स्थान था। जातकों में उल्लिखित (फॉसबॉल संस्करण, जिल्द प्रथम, पृष्ठ 256) वहाँ पढ़ाए जानेवाले तीन वेदों और 18 विद्याओं में उपयुक्त अवश्य होंगें। किंतु कर्मकांड की शिक्षा के लिये तक्षशिला नहीं, अपितु वाराणसी ही अधिक प्रसिद्ध थी। तक्षशिला की सबसे बड़ी विशेषता थी, वहाँ पढ़ाए जानेवाले शास्त्रों में लौकिक शस्त्रों का प्राधान्य।

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Facts By :  @Jigar Valand 

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